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Monday, August 17, 2009

गीता के दिव्य संदेश हर युग में प्रासंगिक




गीता भारतीय संस्कृति का वह सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ है जो हजारों वर्षों से प्रकाश स्तंभ की तरह अंदर-बाहर के अंधकार को दूर कर रहा है। गीता के संदेश कर्म एवं व्यवहार क्षेत्र की मिथ्या धारणाओं को मिटाने का काम करते हैं। हम सुख-दुःख में विचलित हुए बिना पलायन के बजाय कर्तव्य और पुरुषार्थ के मार्ग पर चलें, यही गीता का दिव्य संदेश है जो हर युग में प्रासंगिक रहेगा।


भारत माता मंदिर, हरिद्वार के संस्थापक आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी सत्यमित्रानंदजीगिरिजी ने ये प्रेरक उद्गार सोमवार सुबह गीता भवन में 50वें अभा गीता जयंती महोत्सव के शुभारंभ समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए।

अंतरराष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के आचार्य जगद्गुरु स्वामी रामदयालजी महाराज की अध्यक्षता और निरंजनी आश्रम भीलवा़ड़ा से पधारे महामंडलेश्वर स्वामी जगदीशपुरीजी के विशेष आतिथ्य में आचार्य पं. कल्याणदत्त शास्त्री व विद्वान ब्राह्यणों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार, शंखध्वनि एवं स्वस्ति वाचन के बीच अतिथि संतों ने भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर इस 9 दिवसीय स्वर्ण जयंती महोत्सव का शुभारंभ किया।

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