राम सनेही जद कहे , रटे राम ही राम | जीवन अर्पण राम को, राम करे सब काम || अमृत 'वाणी'

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Sunday, August 30, 2009

उमडी श्रद्धा

शाहपुरा। अन्तरराष्ट्रीय रामस्नेही सम्प्रदाय की ओर से यहां आयोजित पांच दिवसीय फूलडोल महोत्सव रविवार को पीठाधीश रामदयाल महाराज के चातुर्मास की घोषणा के साथ सम्पन्न हो गया। इस दौरान पांच दिन तक विभिन्न क्षेत्रों से आए हजारों श्रद्धालुओं ने मेले का आनन्द उठाया।

मेले के अंतिम दिन रविवार तडके मंगलाचरण के बाद वाणीजी का पाठ हुआ। सुबह से ही रामनिवास धाम में श्रद्धालुओं के पहुंचने का क्रम शुरू हो गया। बाद में रामदयाल महाराज ने चातुर्मास मनासा में करने की घोषणा करते हुए गोटका मनासा से आए श्रद्धालुओं की झोली में डाल दिया। बाद में मनासा के श्रद्धालुओं ने गोटका को सिर पर रखकर जुलूस निकाला।

Wednesday, August 26, 2009

"आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाएं"

Bhilwara

हमीरगढ। रामस्नेही सम्प्रदाय के पीठाधीश्वर जगदगुरू रामदयाल महाराज ने कहा कि आतंकवाद से निपटने के लिए देशवासियों को संकल्पित होने की आवश्यकता है। आतंककारियों के खिलाफ कठोर कदम उठाना होगा, तभी हम आतंकवाद को विश्व से अलग कर पाएंगे। आचार्य मंगलवार को कस्बे के राधाकृष्ण सोसायटी मैदान में उनके दो दिवसीय पधरावणी समारोह के तहत मंगलवार को धर्मसभा को सम्बोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान की धरती पर जन्में सपूतों में हिन्दुत्व के संस्कार क्यों नहीं डाले जाते। यहां जन्मे महापुरूषों के नाम से हम में जोश आ जाता है लेकिन कोई महापुरूष नहीं बनना चाहता। इससे पूर्व धर्मसभा की शुरूआत पंडित त्रिलोकीनाथ शर्मा ने मंत्रोच्चार के साथ की। बालिकाओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। सरपंच बंशीलाल बेकारी ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

साध्वी सत्यप्रभा ने कहा कि महिलाओं को भौतिकवाद की ऊंचाइयों के साथ मर्यादाओं का भी ध्यान रखना चाहिए। मेवाड महामण्डलेश्वर महन्त चेतनदास ने जीवन दीन-दुखियों की सेवा में लगाने के लिए कहा। संचालन सूरजमल विजयवर्गीय ने किया। दो दिवसीय पधरावणी समारोह बुधवार सुबह 9 बजे धर्मसभा के साथ सम्पन्न होगा।

उमडे श्रद्धालु: आचार्य रामदयाल महाराज के पधरावणी समारोह में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड पडा वहीं कस्बे के बाजार बंद रहे। पुष्प वर्षा कर महाराज का स्वागत किया। भोर के बाद रामदयाल महाराज सहित संत मंडली रामद्वारा पहुंची। जहां विजयवर्गीय समाज की ओर से पूजा अर्चना की गई। सुबह नौ बजे कमल सागर स्थित काशी विश्वनाथ घाट से शोभायात्रा शुरू हुई, जो चित्तौडी दरवाजे होती हुई मस्जिद चौक पहुंची। जहां अंजुमन कमेटी के सदस्यों ने संतों का अभिनंदन किया। शोभायात्रा द्वारकाधीश मंदिर सहित मुख्य बाजार होती हुई राजभवन पहुंची। राधाकृष्ण सोसायटी मैदान में पहुंचकर धर्मसभा में परिवर्तित हो गई।

शिलान्यास: तीन मंदिर चौक में रामदयाल महाराज ने कबूतर खाना एवं श्रीराम जल मंदिर का शिलान्यास किया। भाजपा इकाई अध्यक्ष रतनलाल मण्डोवरा, सरपंच आदि उपस्थित थे।

Saturday, August 22, 2009

विश्वास से बडी शक्ति नहीं "आचार्य रामदयाल महाराज "

भीलवाडा। रामस्नेही सम्प्रदाय के आचार्य रामदयाल महाराज ने कहा कि दुनिया में विश्वास से बडी शक्ति नहीं है। विश्वास दुनिया का सबसे बडा धन है। विश्वास सदैव जीतता है और अविश्वास की हार होती है।

यह बात आचार्य ने गुरूवार को तेरापंथ भवन में परिचर्चा के दौरान कही। मुनि विनयकुमार "आलोक" ने कहा कि सभी लोगों में ईश्वरीय चेतना का अंश विद्यमान है। अपने मन को कभी कमजोर न होने दें। आत्मविश्वास में ही भक्ति और जीवन की प्रगति की सीढी है। परिचर्चा में मुनि अभयकुमार व यशवंत कुमार सहित दोनों ही सम्प्रदायों के लोग उपस्थित थे।

जहा आराध्य केवल रामजी महाराज

वर्तमान में जहां शहरों में भी लोग धार्मिक आडम्बर, झाड-फूंक, तंत्र-मंत्र व सामाजिक कुरुतियों के प्रति आस्था जुड़ रही है वहीं महाजनपुरा के लोग २५० वर्ष से आज तक इन बुराइयों से दूर हैं। आज जहा अधिकांश लोग धूम्रपान या अन्य किसी प्रकार के नशे का शौक रखते हैं वहीं इस गांव का कोई भी आदमी किसी भी प्रकार का नशा नहीं करता है। न ही गांव में किसी घर या दुकान पर नशीले पदार्थ मिलते हैं। ऐसी कुछ अन्य विशेषताओं के कारण आस-पास के क्षेत्र में यह गांव चर्चा का विषय रहता है।
नहीं पूजते देवी-देवता
यंहा ग्रामीण किसी भी लोक देवता या अन्य देवताओं की न पूजा करते हैं और ना ही उनको किसी प्रकार का भोग, चढ़ावा, हवन, झाड़-फूंक करते हैं। खास बात यह है की गांव में त्योहारों दीपावली, गोवर्धन, होली इत्यादि पर भी देवी या देवता की पूजा नहीं की जाती है। साथ ही ग्रामीण तीर्थ यात्रा पर भी नहीं जाते हैं।
आराध्य केवल रामजी महाराज
गावं में लोगों की आस्था के रूप में एक रामद्वारा स्थित है। जहां रामस्नेही सम्प्रदाय के संत रामजी महाराज विराजते हैं। ग्रामीण केवल इसी स्थान पर निराकार ईश्वर व गुरु महाराज की आराधना करते हैं। इसके अलावा अन्य मंदिर यहां नहीं है।
पानी पीते हैं छानकर
यहां ग्रामीण परंपरागत रूप से पानी को छानकर पीते आए हैं। वर्तमान में भी यहां ग्रामीण पेयजल को छानकर ही पीते हैं। चाहे घर में एक सदस्य हो या फिर ज्यादा सब इस परंपरा का कड़ाई से पालन करते हैं। इसी का परिणाम है के गांव में लोगों को पानी जनित बीमारियां नहीं होती हैं।
नशे से सर्वथा दूर
गावं के लोग नशे से सर्वथा दूर हैं। यहां बीड़ी, जर्दा, सिगरेट, गांजा, भांग व शराब इत्यादि न तो घर में रखते हैं और न ही दुकान पर मिलती है। यही कारण है गांव में नशे पर अघोषित रोक है।
संतों का लगता है मेला
यहाँ हर वर्ष फाल्गुन बुदी एकादशी से फाल्गुन सुदी एकम तक संतों का मेला लगता है। इन पांच दिनों को गांव में त्योहार के रूप में मनाया जाता है। घरों में पकवान बनते हैं एवं ग्रामीण संतों ·का सम्मान, सत्कार व आराधना करते है संत भी इन दिनों कथा व प्रवचन करते हैं। इस दौरान पूरा गांव धार्मिक माहौल में रंगा नजर आता है।
सभी धर्मों का आदर
ग्रामीण हालांकी रामस्नेही सम्प्रदाय के संतों व उनकी वाणी को ही आराध्य मानते हैं इसके बावजूद यह लोग अन्य सम्प्रदायों, संतों व मान्यताओं की आलोचना करने से न केवल बचते हैं बल्के उनका पूरा आदर भी करते हैं।
२५० वर्ष पुरानी बात
लोगों के अनुसार करीब २५० वर्ष पूर्व गांव की स्थापना के समय से ही गांव में यह परंपराएं हैं। उस समय गांव के लोगों ने रामस्नेही सम्प्रदाय के स्वामी रामचरणदास महाराज से इस पंथ की दीक्षा लेक र मानना शुरू कीया था और तब से ही गांव में इस प्रका र की परंपराएं कायम है। यहां के ग्रामीण आज भी इन परंपरओं का दृढ़ता से पालन करते रहे हैं।
क्या कहते हैं लोग
साठ वर्षीय ग्रामीण महिला गुलाब देवी ने बताया हमारे यहां महिलाएं भी देवी-देवताओं के गीत नहीं गाती हैं। महिलाएं गुरु महिमा व निराकार ईश्वर की महिमा को ही गीतों के रूप में गाती हैं। एक अन्य ग्रामीण पचास वर्षीय राम कीशन चौधरी कहते है हम लोग हमारे महाराज के ग्रन्थ अणभय वाणी जी का ही करते हैं अन्य ग्रन्थ का नहीं। हम लोग तीर्थ यात्रा पर भी नहीं जाते हैं। चौधरी के अनुसार शौक के तौर पर कोई किसी स्थान पर घूमने फिरने चला जाए यह अलग बात है लेकीन गांव में तीर्थ स्थलों के नाम से कोई कही नही जाता है। अन्य निवासी पचास वर्षीय रामूजी, रामपाल चौधरी, गोविन्द नारायण जाट, रामपाल चौधरी ने भी बचपन से ही व अपने पुरखों से ही इन परंपराओं के चले आने की बात करते हैं ।

रामस्नेही ÊचÊकत्सालय

रोÊगयों का आ¶ाादीपराजस्थान के भीलवाड़ा Êजले की १६ लाख जनसंख्या के बीच १९९९ तक मुख्य रूप से प्रसूÊत और अस्थि रोग का कोई बड़ा अस्पताल नहीं था। इन रोगों से सम्बंÊधत अच्छी ÊचÊकत्सा के Êलए लोग जयपुर और कर्णावती जैसे नगरों में जाते थे। जहां उन्हें भारी खर्च का सामना करना पड़ता था, वहीं परे¶ाानी भी कम नहीं थी। लोगों की इन्हीं समस्याओं को देखते हुए रामस्नेही सम्प्रदाय ने अपने प्रवर्तक और प्रथम आचार्य श्री रामचरण जी महाराज की तप:स्थली रामद्वारा (भीलवाड़ा) में ‘रामस्नेही ÊचÊकत्सालय’ के Êनर्माण का Êनर्णय Êलया। तत्प¶चात्‌ सम्प्रदाय के वर्तमान आचार्य श्री रामदयाल जी महाराज ने २६ Êसतम्बर, १९८८ को इसका ʶालान्यास Êकया। लगभग ५ करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले इस ÊचÊकत्सालय के Êनर्माण कार्य को तीन चरणों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया।
१ Êदसम्बर, १९८८ से प्रथम चरण का Êनर्माण कार्य ¶ाुरू हुआ और मात्र १३ महीने में यह पूरा हो गया। प्रथम चरण में बनने वाले इस भवन में सन्‌ २००० से अस्थि Êवभाग, प्रसूÊत Êवभाग, आकस्मिक ÊचÊकत्सा Êवभाग, जांच केन्द्र और एक्स-रे Êवभाग कार्य कर रहे हैं। अस्थि Êवभाग में आधुÊनकतम सुÊवधाएं उपलब्ध हैं। ऐसी ही व्यवस्था प्रसूÊत Êवभाग में भी है। ÊचÊकत्सालय में मात्र २० रुपए ¶ाुल्क देकर कोई भी व्यÊक्त एक सप्ताह तक ÊचÊकत्सकीय सलाह ले सकता है। यहां Êकसी भी प्रकार की जांच न्यूनतम दर पर की जाती है। ÊचÊकत्सालय की ओर से रोÊगयों को मात्र १५ रुपए में भोजन की थाली उपलब्ध करायी जाती है। हर महीने लगभग ६ हजार रोगी इस ÊचÊकत्सालय से लाभ उठा रहे हैं। अस्पताल में स्वच्छता का Êव¶ोष ध्यान रखा जाता है।
पूर्णत: जन-सहयोग से Êनर्मित होने वाले इस अस्पताल के दूसरे चरण का कार्य भी ¶ाुरू हो चुका है। ÊचÊकत्सालय के प्रणेता श्री रामदयाल जी महाराज की कथाओं से जो राʶा प्राप्त होती है, उसे भी अस्पताल के Êनर्माण कार्य में लगाया जाता है।
ÊचÊकत्सालय का पता-
रामस्नेही ÊचÊकत्सालय
स्वामी रामचरण मार्ग, रामद्वारा,
भीलवाड़ा-३११००१

"भू्रण हत्या समाज पर कलंक"

Chittorgarh


प्रतापगढ। अंतरराष्ट्रीय रामस्नेही सम्प्रदाय के पीठाधीश्वर जगद्गुरू आचार्य रामदयाल महाराज ने कन्या भू्रण हत्या को समाज पर कलंक बताते हुए कहा कि जिस देश में मां भगवती की पूजा होती है, कन्याओं को पूजा जाता है, वहां आज भ्रूण हत्या जैसा जघन्य पाप हो रहा है। आज के बाद ऎसा नहीं हो, इसके लिए हमें संकल्प लेना होगा।

आचार्य सूर्यवंशीय क्षत्रिय कुमावत समाज के श्री रामजानकी मंदिर के पाटोत्सव के दौरान सोमवार को दलोट के राजकीय उ“ा माध्यमिक विद्यालय परिसर में भागवत कथा की शुरूआत से पूर्व धर्मसभा को संबोघित कर रहे थे। महाराज ने कहा कि भागवत सम्पूर्ण भारत धर्म है, राष्ट्रधर्म है। भागवत हमें भक्ति का मार्ग बताती है। हमें अभयता प्रदान करती है। इसमें भगवान विद्यमान है। इसी कारण यह अपने आप में पूर्ण ग्रंथ है। संत ने उपस्थित श्रद्धालुओं से हाथ उपर उठवाकर भ्रूण हत्या नहीं करवाने का संकल्प दिलवाया। भागवत कथा मंगलवार सुबह 10 से शाम 4 बजे तक होगी।

शोभायात्रा में झुमे श्रद्धालु
धर्मसभा से पूर्व सुबह संत रामदयाल महाराज के साçन्नध्य में भागवत की शोभायात्रा निकाली गई। इसमें 100 महिलाएं सिर पर कलश धारण किए चल रही थी। बैण्ड की स्वरलहरियों के साथ शोभायात्रा स्कूल मैदान से शुरू हुई जो कन्या विद्यालय, पाटीदार समाज मंदिर, रामजानकी मंदिर, लौहार मोहल्ला, रामद्वारा, हाट चौक होते हुए पुन: विद्यालय मैदान पहुंची। शोभायात्रा के स्वागत में श्रद्धालुओं ने तोरण द्वार लगाए। शोभायात्रा का विभिन्न स्थानों पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया। संत के साथ भागवतानन्द, मुमुक्षुराम, शम्भूराम समेत कई संत शामिल थे।

गोशाला का उद्घाटन
आयोजन समिति के अध्यक्ष भंवरलाल कुमावत ने बताया कि संत रामदयाल महाराज ने शाम को सालमगढ मार्ग पर रामस्नेही सम्प्रदाय की ओर से निर्माणाधीन संत श्री विनोदीराम रामस्नेही गोशाला का उद्घाटन किया।

Thursday, August 20, 2009

जगत गुरु १००८ राम दयाल जी महाराज

जगत गुरु १००८ राम दयाल जी महाराज

Monday, August 17, 2009

गीता के दिव्य संदेश हर युग में प्रासंगिक




गीता भारतीय संस्कृति का वह सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ है जो हजारों वर्षों से प्रकाश स्तंभ की तरह अंदर-बाहर के अंधकार को दूर कर रहा है। गीता के संदेश कर्म एवं व्यवहार क्षेत्र की मिथ्या धारणाओं को मिटाने का काम करते हैं। हम सुख-दुःख में विचलित हुए बिना पलायन के बजाय कर्तव्य और पुरुषार्थ के मार्ग पर चलें, यही गीता का दिव्य संदेश है जो हर युग में प्रासंगिक रहेगा।


भारत माता मंदिर, हरिद्वार के संस्थापक आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी सत्यमित्रानंदजीगिरिजी ने ये प्रेरक उद्गार सोमवार सुबह गीता भवन में 50वें अभा गीता जयंती महोत्सव के शुभारंभ समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए।

अंतरराष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के आचार्य जगद्गुरु स्वामी रामदयालजी महाराज की अध्यक्षता और निरंजनी आश्रम भीलवा़ड़ा से पधारे महामंडलेश्वर स्वामी जगदीशपुरीजी के विशेष आतिथ्य में आचार्य पं. कल्याणदत्त शास्त्री व विद्वान ब्राह्यणों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार, शंखध्वनि एवं स्वस्ति वाचन के बीच अतिथि संतों ने भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर इस 9 दिवसीय स्वर्ण जयंती महोत्सव का शुभारंभ किया।

Wednesday, August 12, 2009

एक किलोमीटर का कैनवास, एक लाख हस्ताक्षर

इंदौर। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के आह्वान पर संत और सेना के सम्मान के लिए 21 दिसंबर को सुबह 9.30 बजे से राजानी बिल्डिंग से मालवा मिल तक एक किलोमीटर लंबे कैनवास पर एक लाख लोगों के हस्ताक्षर कराए जाएंगे। इसके लिए रोड डिवाइडर पर टेबलें लगाई गई हैं।


इस गैर राजनीतिक आयोजन में देश के ख्यात साधु-संत, महंत और सेवानिवृत्त सैन्य अफसर शिरकत करेंगे। इसमें सभी सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक संगठनों के साथ-साथ स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थी और ग्र्रामीण भी भाग लेंगे।

अंतरराष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के प्रमुख महंत रामदयालजी महाराज, अखिल भारतीय संत समाज के राष्ट्रीय महामंत्री हंसदासजी महाराज, बडा अखाडा के महंत रघुमुनिजी महाराज सहित कई संत अतिथि होंगे। सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल मल्होत्रा, मेजर जनरल राठौर, ब्रिगेडियर खन्ना व बालसुब्रमण्यम भी भाग लेंगे। जैन समाज के बाबूलाल पाटोदी व कैलाश वेद ने भी इसमें भाग लेने की घोषणा की है।

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