रोÊगयों का आ¶ाादीपराजस्थान के भीलवाड़ा Êजले की १६ लाख जनसंख्या के बीच १९९९ तक मुख्य रूप से प्रसूÊत और अस्थि रोग का कोई बड़ा अस्पताल नहीं था। इन रोगों से सम्बंÊधत अच्छी ÊचÊकत्सा के Êलए लोग जयपुर और कर्णावती जैसे नगरों में जाते थे। जहां उन्हें भारी खर्च का सामना करना पड़ता था, वहीं परे¶ाानी भी कम नहीं थी। लोगों की इन्हीं समस्याओं को देखते हुए रामस्नेही सम्प्रदाय ने अपने प्रवर्तक और प्रथम आचार्य श्री रामचरण जी महाराज की तप:स्थली रामद्वारा (भीलवाड़ा) में ‘रामस्नेही ÊचÊकत्सालय’ के Êनर्माण का Êनर्णय Êलया। तत्प¶चात् सम्प्रदाय के वर्तमान आचार्य श्री रामदयाल जी महाराज ने २६ Êसतम्बर, १९८८ को इसका ʶालान्यास Êकया। लगभग ५ करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले इस ÊचÊकत्सालय के Êनर्माण कार्य को तीन चरणों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया।
१ Êदसम्बर, १९८८ से प्रथम चरण का Êनर्माण कार्य ¶ाुरू हुआ और मात्र १३ महीने में यह पूरा हो गया। प्रथम चरण में बनने वाले इस भवन में सन् २००० से अस्थि Êवभाग, प्रसूÊत Êवभाग, आकस्मिक ÊचÊकत्सा Êवभाग, जांच केन्द्र और एक्स-रे Êवभाग कार्य कर रहे हैं। अस्थि Êवभाग में आधुÊनकतम सुÊवधाएं उपलब्ध हैं। ऐसी ही व्यवस्था प्रसूÊत Êवभाग में भी है। ÊचÊकत्सालय में मात्र २० रुपए ¶ाुल्क देकर कोई भी व्यÊक्त एक सप्ताह तक ÊचÊकत्सकीय सलाह ले सकता है। यहां Êकसी भी प्रकार की जांच न्यूनतम दर पर की जाती है। ÊचÊकत्सालय की ओर से रोÊगयों को मात्र १५ रुपए में भोजन की थाली उपलब्ध करायी जाती है। हर महीने लगभग ६ हजार रोगी इस ÊचÊकत्सालय से लाभ उठा रहे हैं। अस्पताल में स्वच्छता का Êव¶ोष ध्यान रखा जाता है।
पूर्णत: जन-सहयोग से Êनर्मित होने वाले इस अस्पताल के दूसरे चरण का कार्य भी ¶ाुरू हो चुका है। ÊचÊकत्सालय के प्रणेता श्री रामदयाल जी महाराज की कथाओं से जो राʶा प्राप्त होती है, उसे भी अस्पताल के Êनर्माण कार्य में लगाया जाता है।
ÊचÊकत्सालय का पता-
रामस्नेही ÊचÊकत्सालय
स्वामी रामचरण मार्ग, रामद्वारा,
भीलवाड़ा-३११००१
Saturday, August 22, 2009
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